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साहित्य संदेश




साहित्य संदेश
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 सकल विश्व प्रिय जगत है,
 समझाता साहित्य है।
 रग रग में अपनापन दिखता ,
 शाश्वत रहता नित्य है ।

संस्कार संस्कृति संजोए ,
सदा सत्य साहित्य है ।
सदा सत्य पथ पोषित रहता ,
करता रहता नृत्य है ।

सत्य अहिंसा प्रेम पुजारी ,
मानवता पल पल पलती है ।
साहित्य सभी अपनापन घोले ,
पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है ।

गद्य पद्य व वाचिक पलता ,
कण कण में साहित्य है ।
 संपूर्ण जगत प्रकाशित होता ,
 ऐसा ही आदित्य है ।

सत्यम शिवम सुंदरम पोशक ,
बसु धैव कुटुंबी होता है ।
रस भर देता है जन-जन में ,
सरस बीज ही बोता है ।

पीड़ित मन की पीड़ा हरता ,
चिंतन मय निर्माण करें ।
शुद्ध बुद्धि को भ्रमर बनाकर ,
विश्व कमल व्यवहार करें। 

कह अनजान साहित्य को समझो,
 ब्रह्मा विष्णु महेश है ।
शब्द शब्द में सार छिपा है ,
सब कार्यों का श्री गणेश है।

 स्वरचित व मौलिक
 डा आर बी पटेल अनजान 
छतरपुर मध्य प्रदेश।




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2 Comments

Gunjan Kamal

23-Nov-2023 10:40 PM

👏🏻👌🏻

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Reena yadav

23-Nov-2023 07:04 AM

👍👍

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